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जानिए हिन्दू धर्म में होली का महत्व

होली तो सभी लोग मनाते है और मानते है ? लेकिन आप लोगो में से बहुत ही कम लोग जानते होंगे की होली का त्यौहार आखिर क्यों मनाया जाता है , और होलीकात्यौहारमनानेकामहत्बक्याहै। तो आज की इस पोस्ट में हम आप लोग  से सम्बंधित पोस्ट लेकर आये है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके मन में होली के बारे में जो भी सवाल थे वो सब इस इस पोस्ट को पढ़ने के बाद कहत्म हो जायेंगे। तो चलिए बिना समय बर्बाद करे हुए आज की इस पोस्ट स्टार्ट करते है।

आप सब जानते हो की होली रंगो का त्यौहार है और इस दिन काफी धूम धाम से लोग एक दूसरे के ऊपर रंग फेकते व रंग लगते है। और एक दूसरे के घर पे  होली की सुभकामनाये दने के लिए जाते है। बच्चे हो या बूढ़े होली का नाम सुनते ही सबके मन में उल्लास की भाबना पैदा हो जाती है। होली पे लोग सब लड़ाई , गिले शिकवे भूलकर एकजुट होकर होली का त्यौहार उल्लास के साथ मनाते है।

होली क्यों मनाई जाती है?  (Why Holi is celebrated In India)

होली को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली के त्यौहार को मुख्य रूप से भारत और नेपाल देश में पूरी धूम धाम से मनाया जाता है। हम आपको बता दे की होली एक बसंतकापर्वत्यौहारहै।  इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते है, वैसे तो लोग सभी रंगो का प्रयोग होली पे करते है।

लेकिन ज्यादातर लाल रंग का इस्तेमाल होली के उत्सव पे किया जाता है, क्योकि लाल रंग को होली के पर्व पर प्यार  और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी लोग इस त्यौहार को आपसे में मिलकर भाईचारे के साथ मनाते है।  हर त्यौहार के मनाने के पीछे कोई न कोई कहानी छुपी हुई होती है, बैसे ही होली के त्यौहार को मनाने के पीछे भी एक बहुत पुरानी कथा है। तो चलिए सबसे पहले उस कथा के बारे में जानकारी प्राप्त करते है।

होली त्यौहार मनाने की पौराणिक कहानी

बहुत से लोग कहते है और पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षस प्रवृत्ति वाला हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस हुआ करता था। कहा जाता है की हिरण्यकश्यप ने भगवान की सालो तक प्राथना की, जिससे उसको अमर रहने का का वरदान प्राप्त हुआ। और वो अपने आप को भगवान मानने लगा था , वो लोगो से बोलता था की मैं ही भगवान हु मेरी पूजा करो। क्योकि उसको एक अमर रहने का वरदान प्राप्त था।

"उसकी मृत्यु ना किसी शास्त्र से हो सकती थी और न ही उसको कोई जानवर या इंसान मार सकता था। आकाश में ले कर भी उसकी मृत्यु संभब नहीं थी, न ही उसको घर के अंदर मारा जा सकता था न ही घर के बहार व दिन या रात के समय में भी उसको नहीं मारा जा सकता था" ।

इस वरदान के चलते उसको अपने आप पर घमंड हो गया की मैं तो अमर हु मेरा अंत नहीं हो सकता है। वो लोगो से अपनी गुलामी कराना चाहता था , अगर लोग उसकी बात नहीं मानते तो वो उनपे अत्याचार करता था। हिरण्यकश्यप का एक बेटा भी था, जिसका नाम प्रह्लाद था। जो भगवान विष्णु जी के प्रति अपार भक्ति रखता था और उनकी पूजा करता था।

और हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से बदला लेना चाहता था क्योकि भगवान् विष्णु ने हिरण्यकश्यप के भाई की मृत्यु कर दी थी। हिरण्यकश्यप के लाख मना करने के बाद भी प्रह्लाद भगवान् विष्णु यानि अपने पिता के दुश्मन को ही पूजता था। केवल प्रह्लाद के अलावा सब उसके पिता को पूजते थे , और और भगवान मानते थे। अगर वो लोग ऐसा नहीं करते थे वो दुष्ट राजा यानि हिरण्यकश्यप उन लोगो पे ज़ुल्म करता था तो मजबूरन लोगो को उस राजा को पूजना पड़ता था।

अपने बेटे के भगवानविष्णुकेप्रति इस पाठ पूजन के वो राजा बहुत ही दुखी हो चूका था। और उसने अपनी पूरी प्रजा के सामने अपने बेटे को ज़िंदा जलाने का फैसला सुनाया था। ताकि कोई और व्यक्ति राजा के प्रति दोबारा आवाज़ नहीं उठा सके। प्रह्लाद को मारने के लिए उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को भगवान् के द्वारा बरदान में दिया हुआ एक वस्त्र (सौल) प्राप्त थी , जिसको ओढ़कर वो आग में नहीं जल सकती थी।

हिरण्यकश्यप ने प्लान बनाया था की मेरी बहन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाएगी और होलिका को तो वरदान प्राप्त है जिसके चलते वो आग से बच जाएगी और मेरा बेटा प्रह्लाद आग में जलकर भसम हो जायेगा। योजना के अनुसार जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठी , तो प्रह्लाद हाथ जोड़कर अपने प्रिये भगवान विष्णु जी से प्राथना करने लगे । भगवान् ने प्रह्लाद की सुन ली और तुरंत ही वहा  पर एक तेज हवा चलने लगी और तूफ़ान आ गया।

तूफ़ान इतना तेज था की होलिका का वो वरदान वाला वस्त्र उड़ गया और होलिका जल कर भस्म हो गयी। और भगवान् विष्णु की कृपा से प्रह्लाद के शरीर पर आग का असर ही नहीं हुआ। तब से ही ये कथा प्रचलित है की हमेशा बुराई की हार होती है और अच्छाई की सदैव ही जीत होती है। तभी से अच्छी की जीत के बाद ये त्यौहार हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है , अब आगे जानते है के इस त्यौहार का महत्व्  क्या है।

होलीकामहत्व ( Importance of Holi )

जैसा की मैंने आपको बताया की होली का त्यौहार बुराई की हार और अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है। जिस प्रकार से प्रह्लाद ने कठिनाइयों का सामना किया उसी प्रकार से हमे भी कठिनाइयों से लड़ना और उनका  सामना करना चाहिए।

जैसे पुत्र प्रह्लाद ने भगबान पर अटूट बिस्वास रखा और भगवान विष्णु ने अपने शिष्य की मदद की उसी तरह हमको भी ईश्वर पर बिस्वास करना होगा। क्योकि ईश्वर अगर आपके साथ है तो दुनिया की कोई भी बुरी शक्ति आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। ये त्यौहार आपस में भाईचारा बढ़ाता है,  समाज में फैली बुराईयो को दूर करने में होली के त्यौहार का बहुत बड़ा महत्व है।

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